Latest News

Breaking News 11 December 2025

1 ) सिरप स्कैम 2.0: यूपी से नेपाल तक फैला नशे का काला नेटवर्क

उत्तर प्रदेश में खुलेआम बिक रही एक बोतल कफ-सिरप आखिर इतनी खतरनाक कैसे हो सकती है? जवाब उतना ही चौंकाने वाला है क्योंकि यह बोतल दवा कम, और करोड़ों के अवैध नशे के कारोबार की सबसे चमकदार ईंट निकली। कागज़ों में इलाज का नाम, पर ज़मीन पर तस्करी की गंध… और जब इस रैकेट की परतें खुलीं, तो उसके धागे नेपाल, बांग्लादेश और दुबई तक जाकर जुड़े। अब हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि यूपी STF को अपनी टीम सीमा पार नेपाल भेजनी पड़ी क्योंकि मास्टरमाइंड भारत छोड़कर भाग चुके हैं। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, वैसे-वैसे यह खुलासा हुआ कि यह कोई स्थानीय धंधा नहीं बल्कि एक सुनियोजित आपराधिक उद्योग था जिसमें व्यवस्थित रूप से दवा कंपनियों से बड़े पैमाने पर कोडीन सिरप खरीदा गया, फिर उसे कागजों में खपाकर अवैध स्टॉक को सीमापार तस्करी के लिए भेजा गया। इसी बड़े पैमाने के खुलासे के बाद यूपी सरकार ने IG-स्तरीय SIT का गठन किया और यूपी STF की टीम भी सक्रिय की। जांच में जब यह पक्का संकेत मिला कि मामले के कई बड़े मास्टरमाइंड भारत छोड़कर नेपाल की ओर भाग गए हैं, तब यूपी STF की टीम नेपाल पहुंची ताकि इन आरोपियों के लोकल सपोर्ट नेटवर्क, ठिकानों और भागने के संभावित रूट को खोजा जा सके। यह कदम इस बात का सबूत है कि राज्य अब इस अपराध को किसी साधारण दवा-तस्करी के केस की तरह नहीं देख रहा, बल्कि इसे हाई-प्रोफाइल संगठित क्राइम की तरह ट्रीट कर रहा है।

मामला पहली नजर में जितना सरल लग रहा था, हकीकत उससे कहीं ज्यादा गंभीर है। पुलिस ने अब तक 3.5 लाख से अधिक कोडीन सिरप की बोतलें बरामद की हैं, जिनकी अनुमानित अवैध कीमत लगभग ₹4.5 करोड़ से अधिक बताई जा रही है। पूरे राज्य में 128 FIR दर्ज की जा चुकी हैं, और जांच 28 जिलों में फैल चुकी है जो इस बात का संकेत है कि यह कोई सीमित गिरोह नहीं बल्कि एक वृहद फैला हुआ नेटवर्क था। जांच में 12 मुख्य आरोपियों की पहचान हुई है, जिनमें Vibhor Rana, Saurabh Tyagi, Vishal Rana, Pappan Yadav, Shadab, Manohar Jaiswal, Abhishek Sharma, Vishal Upadhyay, Bhola Prasad, Shubham Jaiswal, Akash Pathak और Vinod Agarwal जैसे नाम शामिल हैं। इनमें से कई गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन नेटवर्क के दो सबसे महत्वपूर्ण चेहरे Shubham Jaiswal और Prashant Upadhyay अब भी फरार हैं और इन्हें दबोचने के लिए UP STF नेपाल तक पहुंची है। जांच में यह भी सामने आया कि कुछ आरोपी दुबई भागने की तैयारी में थे, जिसके लिए फर्जी दस्तावेज, फर्जी बुकिंग और मनी-ट्रेल जैसे पुख्ता सबूत SIT के हाथ लगे हैं। इस स्कैम का सबसे खतरनाक पक्ष यह है कि जो दवा चिकित्सकीय नियंत्रण में मरीजों को दी जानी चाहिए थी, वह मुनाफे और तस्करी के नाम पर नशे के रूप में बेची जा रही थी, जिससे युवा वर्ग और सीमावर्ती इलाकों में नशे का खतरा तेजी से बढ़ा। जांच में कई दवा दुकानों, गोदामों और फर्मों के संदिग्ध बैंक अकाउंट्स, असामान्य नकद लेन-देन, और नकली बिलिंग का खुलासा हुआ है जो इस रैकेट के वित्तीय ढांचे को साफ दर्शाते हैं। SIT अब नेटवर्क की मनी-ट्रेल, सप्लाई चेन, अंतरराष्ट्रीय लिंक और अधिकारियों की संभावित मिलीभगत की गहराई तक पड़ताल कर रही है, जबकि STF नेपाल में फरार सरगनाओं की तलाश में जुटी है। यह पूरा मामला सिर्फ दवा-तस्करी का नहीं बल्कि सीमा-सुरक्षा, जन-स्वास्थ्य और राज्य की प्रशासनिक विश्वसनीयता से जुड़े गंभीर सवाल खड़े करता है।

 

2 )  Rahul Gandhi vs Amit Shah

आज संसद में जो कुछ हुआ, उसने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया कि क्या देश की सबसे बड़ी बहस वास्तव में मतदाता सूची की ईमानदारी पर है या फिर सत्ता और विपक्ष एक-दूसरे की बात सुनने की क्षमता खो चुके हैं, क्योंकि अमित शाह और राहुल गांधी के बीच SIR यानी Special Intensive Revision को लेकर हुई तीखी बहस ने पूरे विंटर सेशन को राजनीतिक टकराव के मैदान में बदल दिया। सरकार SIR को एक तकनीकी प्रक्रिया बताती है, जिसका उद्देश्य फर्जी वोटरों को हटाकर मतदाता सूची को साफ और पारदर्शी बनाना है, जबकि विपक्ष इसे मतदाता अधिकारों पर संभावित खतरा और एक ऐसी प्रक्रिया मान रहा है जिसमें राजनीतिक हितों के अनुसार नाम काटे या जोड़े जा सकते हैं। बहस की शुरुआत में उम्मीद थी कि दोनों पक्ष तथ्य आधारित चर्चा करेंगे, लेकिन जैसे ही राहुल गांधी ने SIR पर तकनीकी सवाल उठाए, विपक्ष को लगा कि अमित शाह उनके सवालों से बच रहे हैं। शाह का कहना था कि विपक्ष झूठ फैला रहा है, भ्रम पैदा कर रहा है और वोटर लिस्ट सुधार प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से संदिग्ध बना रहा है; उन्होंने सख्त अंदाज़ में यह भी कहा कि संसद उनकी मर्ज़ी से चलेगी, न कि विपक्ष की। राहुल गांधी ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि अमित शाह SIR जैसे संवेदनशील लोकतांत्रिक विषय पर सीधा जवाब देने के बजाय मुद्दा भटका रहे हैं और सरकार लोकतंत्र की बुनियादी प्रक्रिया मतदाता सूची की पारदर्शिता पर खुली बहस से घबरा रही है। माहौल इतना गर्म हो गया कि विपक्ष ने महसूस किया कि उनके सवालों को गंभीरता से नहीं सुना जा रहा, न ही बहस का माहौल निष्पक्ष है, इसलिए INDIA गठबंधन के सभी नेता एकजुट होकर वॉकआउट कर गए, जिसके बाद सदन की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस घटना ने साफ कर दिया कि मामला सिर्फ SIR की तकनीकी प्रक्रिया का नहीं है, बल्कि इस गहरे सवाल का है कि क्या भारतीय लोकतंत्र में अब गंभीर बहस की गुंजाइश बची है जब सत्ता और विपक्ष किसी मुद्दे को समझने से पहले ही राजनीतिक खांचों में बंट जाते हैं। सरकार इसे लोकतंत्र को मजबूत करने वाला सुधार बताती है, जबकि विपक्ष इसे मतदाता अधिकारों पर एक संभावित संकट कह रहा है, और अंत में सवाल वही खड़ा रह जाता है कि क्या हमारा लोकतंत्र उन मूल मुद्दों पर शांत, ईमानदार और तथ्यात्मक चर्चा करने की क्षमता खो रहा है जो उसकी नींव हैं, या राजनीति इतनी ध्रुवीकृत हो चुकी है कि सहमति अब सिर्फ एक कलात्मक शब्द बनकर रह गया है।