पिछले कुछ सालों में भारतीय सिनेमा ने कई बड़े प्रयोग देखे, लेकिन ‘धुरंधर’ जिस तरह अचानक चर्चा में आई और पूरे देश की बातचीत का केंद्र बन गई यह किसी भी तरह से मामूली घटना नहीं है। रिलीज़ के पहले दिन से ही यह फिल्म व्यावसायिक, सांस्कृतिक और सामाजिक सभी स्तरों पर नई मिसाल बनाती दिख रही है। सवाल यह नहीं है कि फिल्म चली या नहीं सवाल यह है कि ऐसी कौन-सी बात है जिसने हर भारतीय को इसे देखने के लिए मजबूर कर दिया है? रिलीज़ के पहले ही सप्ताह में फिल्म ने ₹100 करोड़ से अधिक की कमाई कर ली। ओपनिंग डे पर ₹23–25 करोड़ की शुरुआती कमाई ने इस साल की सबसे बड़ी ओपनिंग्स में जगह बनाई। वीकेंड की कुल कमाई ने कई बड़े सितारों की फिल्मों के रिकॉर्ड पीछे छोड़ दिए। मल्टीप्लेक्स और सिंगल-स्क्रीन दोनों जगह 80–90% ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई। ‘धुरंधर’ की खासियत यह है कि फिल्म एंटरटेनमेंट और भावनाओं को साथ लेकर चलती है। कहानी में भारतीय मूल्य, संघर्ष और जीत की सार्वभौमिक भावना है। किरदार इतने वास्तविक और relatable हैं कि हर व्यक्ति उसमें खुद को देख लेता है। फिल्म का स्क्रीनप्ले टाइट है और हर सीन में meaning है कोई फालतूपन नहीं, कोई ओवरड्रामेटिकिटी नहीं। फिल्म की सफलता का सबसे बड़ा कारण है इसकी कास्टिंग और अदाकारी। लीड ऐक्टर का अब तक का यह सबसे दमदार परफॉर्मेंस माना जा रहा है। सपोर्टिंग कास्ट ने फिल्म के हर फ्रेम को मजबूत किया है। ऑडियंस और क्रिटिक्स दोनों ने इसे करियर-डिफाइनिंग एक्टिंग बताया है। यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं करती सोच बदलती है। फिल्म भारतीय समाज में मौजूद दबावों, संघर्षों और उम्मीदों को साहस के साथ दिखाती है। कई सीन्स सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे क्योंकि लोग खुद को उनमें पहचान रहे हैं। आज बॉक्स ऑफिस पर वही फिल्म टिकती है जिसे जनता प्यार दे और ‘धुरंधर’ के लिए यही असली ऑक्सीजन बनी। रील्स और यूट्यूब पर लाखों वीडियो वायरल हो रहे हैं। फैन्स ने इसे “इस साल की सबसे ज़रूरी फिल्म” कहना शुरू कर दिया। थिएटर्स में परिवार, युवा और सीनियर सभी सेगमेंट की भारी मौजूदगी देखी जा रही है। यह फिल्म इसलिए हर भारतीय को देखनी चाहिए क्योंकि इसकी कहानी हम सभी की है यह सिर्फ एक नायक की कहानी नहीं, हर उस भारतीय की कहानी है जो रोज़ लड़ता है, गिरता है, उठता है और फिर आगे बढ़ता है। फिल्म भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक धकेलती है क्योंकि इसकी सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर और तकनीकी स्टैंडर्ड हॉलीवुड-लेवल हैं। यह फिल्म आपके दिल को छूती है और हर भारतीय को कम से कम एक बार इस फिल्म का catharsis महसूस करना चाहिए। ये भारत की भावनाओं, संघर्षों, सपनों और उम्मीदों की एक जीवित दस्तावेज़ बन चुकी है और इसी लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर आप भारतीय हैं, तो यह फिल्म सिर्फ देखनी नहीं महसूस करनी चाहिए